Vintage 11 Part 1- Syed Mushtaq Ali
1 min readसईद मुश्ताक़ अली :
भारत की घरेलु T20 प्रतियोगिता सय्यद मुश्ताक़ अली ट्रॉफी के लिए खेली जाती है। BCCI के द्वारा इस तेज़ तर्रार क्रिकेटर का यह अत्यंत उचित गौरव है।
१९९९ में विरेन्द्र सहवाग के आने के पहले, मुश्ताक़ अली ऐसे बल्लेबाज़ थे, जो गेंदबाज़ को नहीं, गेंद को खेलते थे। गेंदबाज़ की लय को बिगाड़ने के लिए मुश्ताक़ अली क्रीज़ में इतना ज्यादा हिलते डुलते थे, कि उनको गेंद करते वक़्त गेंद की लाइन, लेंग्थ और टप्पा कहाँ रखना है, गेंदबाज़ बड़ी दुविधा में रहते थे! कभी कभी तो मुश्ताक़ चलते चलते आधे पिच तक गेंदबाज़ के रन अप में होते वक़्त ही चले जाते थे।अपनी आक्रमक बल्लेबाज़ी से वे गेंदबाज़ पर पहली गेंद से ही हावी रहते थे। विजय मर्चंट के साथ उनकी सलामी जोड़ी खूब जमी!भारत के लिए देश के बाहर टेस्ट शतक बनानेवाले मुश्ताक़ पहले खिलाड़ी थे।
मर्यादित ओवेरों के क्रिकेट के लिए इनकी बल्लेबाज़ी की शैली बिलकुल फिट थी। १९३६ में ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट में दिन के आखरी सत्र में उन का प्रदर्शन देखकर नेविल कार्ड्स ने कहा था, “उन के हाथों में बात जादू की छड़ी की तरह लगता है। कीथ मिलर उन्हें भारतीय क्रिकेट का एरोल फ्लिन कहते थे। मुश्ताक़ अली ने ११ टेस्टों में ३२.२१ की औसत से ६२२ रन बनाये, जिस में दो शतक शामिल थे। दुसरे विश्वयुद्ध के कारण उन के क्रिकेट करियर के बहुमूल्य ७ साल खोने पड़े, और १९४७-४८ के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर वे अपने भाई की मौत के कारण न जा सके। वर्ना उन के आंकड़े इस से भी सशक्त होते। मेरे विंटेज एलेवेन के सलामी बल्लेबाज़ का स्थान का हकदार सय्यद मुश्ताक़ अली के सिवा कोई नहीं हो सकता।